'फर्क है, सिक्का दोनों ओर से खोटा होता है.’
फिल्म शोले में ठाकुर ने जेलर से तब कहा जब जय और वीरू
को उसने ‘खोटा सिक्का और किसी काम के नहीं’ बता कर ख़ारिज कर दिया था. ये संवाद मशहूर
लेखक सलीम-जावेद की जोड़ी की कलम की धार तो दिखलाती है पर जो नहीं जानते उन्हें
जानकर आश्चर्य होगा कि शम्मी कपूर की हिट फिल्म ‘प्रोफेसर’ और ‘तीसरी मंजिल’ में उनके
दोस्त की अननोटिस रहने वाली भूमिका में सलीम ही थे. अभिनेता के तौर पर सदा खोटे
सिक्के की तरह याद किये जाने वाले व्यक्ति. बिलकुल सलीम की तरह की नाकामी देखी
सुभाष घई ने. जिनका अभिनय करियर शुरू हुआ और समाप्त हो गया फिल्म उद्योग के ‘हैली
कॉमेट’ राजेश खन्ना की ‘आराधना’ के साथ. इनसे कुछ ही भिन्न स्थिति राकेश रोशन के
साथ रही. कई फ्लॉप फिल्मों के हीरो रहे राकेश
रोशन ने भी अपना धैर्य खोया. मगर इन खोटे सिक्कों में जान थी इसलिए फर्नेस में
गलने के बदले खुद को दूसरे क्षेत्रों में आजमाया. आजमाया क्या, आज इन्हें फिल्म उद्योग में सफलता को
मापने की ‘यूनिट’ कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
यहाँ बिग बी की असफलता को याद करने की जरुरत
नहीं क्योंकि वो ऐसे ब्लू चिप कंपनी के शेयर थे जो पारिवारिक विवाद, बंटवारे या
ग्लोबल रिसेशन के कारण कुछ दिनों के लिए बाजार भाव से कम पर उपलब्ध हुए. उन्हें उस
दौर में कम आंकने वालों के ध्यान से ये बात उतर गयी थी की हीरा खेतों में नहीं
कोयले की खानों में ही मिलता है और मिला भी. इतना मिला कि आँखें अभी तक चुँधिया
रहीं हैं.
खैर, दीपावली पर बातें हों तो समृद्धि की हो,
सफलता की हो. अनार, आसमान तारा या आवाज़ वाले पटाखों से खुश होते समय अगरबत्ती को भी
याद रखना होगा क्योंकि अनार एक बार चमक कर जल्द ही बुझ जाएगा, आसमान-तारा जितना
तेज ऊपर जाए उतनी तेज़ी से नीचे आएगा पृथ्वी के ‘ग्रविटेशनल पुल’ के कारण और दूसरे चीखने
वाले पटाखे भी जल्द चुप हो जायेंगे. मतलब, ये हमें टिकाऊ खुशियाँ भी नहीं देंगे और
प्रदूषण अलग से. जबकि नॉन ग्लैमरस, मन ही मन, धीमे-धीमे सुलगती अगरबत्ती से हम देवी-देवताओं
और स्वर्गवासी सम्बन्धियों की वंदना तो करेंगे ही और यह बुझने के बाद भी खुशबू और
खुशियाँ बिखेरती रहेगी.
आज दीपावली के दिन भी कई खोटे सिक्के मन ही
मन उदास होंगे. लक्ष्मी की पूजा करेंगे पर जेब खाली होगी. पटाखे फूटेंगे पर दिल,
सीलन भरे पटाखे की तरह दहाड़ेगा नहीं. दुखी होने की जरूरत नहीं है उन्हें. अगली
पारी आज से शुरू करने का संकल्प लें और याद रखें- किस्मत की मुहूर्त ट्रेडिंग का
कोई निश्चित दिन नहीं होता.